Goli

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लेखक के सर्वाधिक प्रसद्धि स्तंभ आचार्य चतुरसेन ने इस उपन्यास में राजस्थान के रजवाड़ों और उनके रंगमहलों की भीतरी ज़िन्दगी का बड़ा मार्मिक, रोचक और मनोरंजक चित्रण किया है। उसी परिवेश की एक बदनसीब गोली की करुण-कथा, जो जीवन-भर राजा की वासना का शिकार बनती रही और उसका पति उसे छूने का साहस भी नहीं कर सका। "देखिये, मैं अपनी समूची कहानी आपको बताने पर आमादा हूं. निःसन्देह आपको वह अद्भुत और अनहोनी-सी लगेगी. कभी न सुनी हुई बातें और कभी न देखें हुए तथ्य आपके सामने आएंगे. मैं सब कुछ आपबीती आपको कह सुनाऊँगी. कुछ भी छिपाकर न रखूंगी. परन्तु न तो अपना असली नाम आपको बताउंगी, न उस ठिकाने या ठाकुर का जिसकी पर्यकशायिनी मेरी माँ थी. न उस राजा का, जहाँ मैंने रानी के समान 21 वर्ष रंगमंहल में बिताये." -इसी पुस्तक से

Additional Information
Author Acharya Chatursen
Format Paperback
Language Hindi
ISBN 9789354621222
Pages 234

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