Ek Aur Ram
₹125.00
- Brands TRUE SIGN PUBLISHING HOUSE
- ISBN: 9789355842947
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‘एक और राम’ नाटक हिन्दी के कवि उपन्यासकार, कहानी लेखक, उद्घोषक एवं विभिन्न कार्यक्रमों के संयोजक एडवोकेट श्री मोहन लाल मिश्र ‘धीरज’ का एकदम ताजा लेख है। लेखक की संकल्पना विश्व प्रेम की उदात्त भावना है। उसकी दृष्टि में समस्त धर्मावलम्बी एक शक्ति के ही उपासक हैं। वह चाहे जो संज्ञा जिस संज्ञा से जाना जाता हो। सभी का लक्ष्य शान्ती से मिलजुल कर रहना है। समाजोत्थान में धर्म का महत्त्वपूर्ण स्थान है। धर्म ही व्यक्ति के सर्वतोमुखी विकास का द्वार खोलता है, संकीर्णताओं की खिड़कियों को खोलता है। और ईर्ष्याल झरोखे भी बनाता है, व्यक्ति के सोच पर निर्भर है कि वह किसे पसन्द करता है। प्रश्न तो आत्मतुष्टि का उभरता है। आत्मतुष्टि ही आस्था का आनन्द स्वरूप है। कर्म उसके सुदृढ़ आधार। कर्म शून्य धर्म व्यर्थ है। धर्म व्यष्टि से समष्टि तक के मानवीय शंकाओं के निवारण कर प्रेरक तत्व हैं, धर्म में निहित संस्कार जीवन की निर्मलता के प्रतीक होते हैं। यही निर्मलता सद्भाव कहाती है और व्यक्ति को व्यक्ति से जोड़ती है, ‘एक और राम’ नाटक के विभिन्न धर्मानुयायी पात्र समाज के ही अंग है। सभी की दैनिक चर्या में मनुष्य-कल्याण की सद्भावना निहित है। यही सुदृढ़ मंच का प्रार्थना के अच्छे माध्यम उस परमशक्ति के आकर्षक का श्लाघ्य प्रयास है।
Additional Information | |
Author | Mohan Lal Mishra ‘Dheeraj’ |
Format | Paperback |
Language | English |
ISBN | 9789355842947 |
Pages | 80 |